Freitag, 22. Juli 2011

काश ऐसा होता

बचपन से हमें सिखाया जाता है

सजा संवरा बाग होना

जहां हर पौधे, पेड़, फूल की जगह होती है

इधर उधर उगने वाले तिनकों को

माली हफ्ते में एक बार साफ कर देता है

घास को भी बढ़ते ही जाने की अनुमति नहीं होती

हमें सिखाया जाता है बाग होना जिसे

दिखाया जा सके कि यह है हमारे घर का बागीचा

और लोग कहें कि वाह क्या संवारा है

कितना अच्छा होता

कि हमें सिखाया जाता जंगल होना,,

आभा निवसरकर मोंढे

2 Kommentare:

  1. सच काश हमें सिखाया जाता जंगल होना.हमें सिखाया जाता जैसे हम हैं वैसे जीना..
    सीधे शब्दों में दिल की बात ..आपकी कविताओं को पढ़ना अच्छा लगा.और इस रास्ते बार बार आना चाहूंगी.

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