Freitag, 7. Oktober 2011

नियति

मैंने बचपन को बंद कर दिया है
बस्ते में
इमली का पेड़, गुल्ली डंडा, पकड़म पाटी भी
मैं बन रहा हूं इतिहास,
बन जाऊंगा गणित एक दिन
आंकड़ों से खेलते हुए
आंकड़ों को जोड़ते, घटाते
समय को बांध दफ्तर में
भरूंगा जेबें और
भूल जाऊंगा भाषा...

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