Mittwoch, 19. Oktober 2011

ठांय से

धड़ाम से बारिश
दन्न से पतझड़
धांय से हवा
और टप टप टप
सर्ररररररररर पत्तों के घुंघरू
शाम है
रात है
धुंधलका है
ठनकती ठंड
सिर चढ़ बोलती है....

रात जमती है
धुंधलके में धुलती है
दिन खिलता नहीं
लिपटा रहता है सुबह में

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