एक चमेली खिलती है मुझमें
जाने किसके कांटों से डर
महक ही नहीं पाती
एक घर बनता है मुझमें
न जाने किन दिवारों से सहम
छत बना नहीं पाता
एक सूरज उगता है मुझमें
चांद की याद में घुलता
दहक ही नहीं पाता
जाने किसके कांटों से डर
महक ही नहीं पाती
एक घर बनता है मुझमें
न जाने किन दिवारों से सहम
छत बना नहीं पाता
एक सूरज उगता है मुझमें
चांद की याद में घुलता
दहक ही नहीं पाता