Freitag, 27. Januar 2012

जिंदा है

तुम रिश्तों की उलझन लाओ
मैं धागन बना कर पतंग उड़ाऊं
तुम जीवन का चक्कर सुनाओ
मैं घिर्री बना कर धागन लपेटूं
तुम कहो बड़ी भारी हैं जिम्मेदारी
मैं नाव बना कर पानियों में ढकेल दूं
तुम कहो अगर संभाल कर रहना
छीटों से मैली हो जाओगी
और मैं कूद पड़ूं छपाक
तुम गाथाएं सुनाओं परिवारों की
मैं बोती रहूं चवन्नी अठन्नी
तुम दिखाओ मुझे कांटे कल कर
मैं गुनती रहूं सपनों के सन
तुम कहो बड़ी हो जाओ
मैं पोसती रहूं मुझमें बच्चे को

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