जब तक
मैं बंधी रहती हूं
सात फेरों में
गुनगुनाती रहती हूं पायजेब में
खनकती रहती हूं चूड़ियों में
वे गुणगान गाते हैं
बहू, बेटी की भूमिका में
निपुण होने की गाथाएं लिखते हैं
मैं जानती हूं कि
जब भी खड़ी हो जाऊंगी अपने लिए
बदल जाएंगे शब्द
दफ्न हो जाएंगी गाथाएं
मैं बंधी रहती हूं
सात फेरों में
गुनगुनाती रहती हूं पायजेब में
खनकती रहती हूं चूड़ियों में
वे गुणगान गाते हैं
बहू, बेटी की भूमिका में
निपुण होने की गाथाएं लिखते हैं
मैं जानती हूं कि
जब भी खड़ी हो जाऊंगी अपने लिए
बदल जाएंगे शब्द
दफ्न हो जाएंगी गाथाएं
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